एडवोकेट सीमीन अहमद और महाराष्ट्र एक्शन कमेटी ने मस्जिद सर्वे के खिलाफ पुणे कलेक्टर को सौंपा निवेदन पत्र
पुणे, 9 दिसंबर: प्रतिनिधि : अल्ताफ शेख
आज पुणे कलेक्टर कार्यालय में एडवोकेट सीमीन अहमद और महाराष्ट्र एक्शन कमेटी की ओर से एक निवेदन सौंपा गया, जिसमें मस्जिदों के सर्वे के फैसले का कड़ा विरोध किया गया। ज्ञापन में कहा गया कि यह कदम न केवल सांप्रदायिक सौहार्द के खिलाफ है, बल्कि यह प्लेसिस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्राविजन्स) एक्ट, 1991 के प्रावधानों का उल्लंघन भी करता है।
इस मौके पर एडवोकेट सीमीन अहमद, जाहिद भाई, मुफ्ती शाहिद, शाहिद शेख, मौलाना वसीम और हाफिज खब्बाब मौजूद थे। उन्होंने मांग की कि पुणे में किसी भी मस्जिद का सर्वे करने का आदेश न दिया जाए, क्योंकि यह कानूनी और सामाजिक दृष्टि से उचित नहीं होगा।
एडवोकेट सिमीम अहमद ने कहा, “प्लेसिस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 के तहत 15 अगस्त 1947 की स्थिति को बदलने की कोई भी कोशिश अवैध है। मस्जिदों का सर्वे करने का फैसला इस एक्ट के उद्देश्यों के खिलाफ है, जिसका मकसद धर्मनिरपेक्षता और सांप्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देना है।”
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि मस्जिद इबादत का स्थान है और इसे अनावश्यक रूप से किसी विवाद में घसीटना सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देगा। प्रतिनिधिमंडल ने अपील की कि प्रशासन ऐसे किसी भी कदम से बचे, जो सांप्रदायिक सौहार्द और सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा सकता है।
एडवोकेट सीमीन अहमद ने कलेक्टर को याद दिलाया कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने और इबादत करने का अधिकार है। मस्जिदों का सर्वे कराने का आदेश इन मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है और इससे कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
एडवोकेट सीमीन अहमद और महाराष्ट्र एक्शन कमेटी ने कहा कि, “मस्जिदों को निशाना बनाना केवल एक धार्मिक समुदाय की भावनाओं को आहत करने के लिए किया जा रहा है। ऐसे कदम धर्मनिरपेक्ष ढांचे और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं।”
प्रतिनिधिमंडल ने इस ज्ञापन के माध्यम से शांति और सामाजिक सद्भाव के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और कलेक्टर कार्यालय से इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ संभालने और सकारात्मक प्रतिक्रिया देने की अपील की।